हौसले और लगन के बूते नेत्रहीन सोमेश बन गया आयकर अधिकारी || Blind Somesh became income tax officer due to courage and dedication ||

झारखंड राज्य के चतरा जिले के सोमेश ने जोश, जज्बा और जुनून के बदौलत SSC का परीक्षा पास कर बने इनकम टैक्स अधिकारी. सोमेश ने दिव्यांगता अथवा शारीरिक कमजोरी को अभिशाप नहीं समझा. 

इसे साबित कर दिखाया है चतरा के सोमजश ने, जिन्होंने अपनी प्रतिभा के बल पर SSC की परीक्षा पास कर इनकम टैक्स में जॉब पाया है। अगर ठान लो तो कुछ भी असंभव नहीं है इसी को सच साबित कर दिखाया है चतरा के सोमेश पांडे ने।

मोबाईल पर तेजी से चलती उंगलियां और फर्राटेदार शब्दो मे जवाब,जिसे देखकर कोई भी नही कहेगा कि सोमेश पांडे नेत्रहीन हैं। ये उनकी प्रतिभा ही हैं जिसकी चमक SSC से लेकर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट तक पहुंची और सोमेश ने न सिर्फ SSC के परीक्षा को पास किया बल्कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट मे जॉब भी पाया।

रही बात नेत्रहीनता कि तो टंडवा के सिसई गांव के रहने वाले सोमेश पांडे इसे कोई चुनौती नही मानते। वहीं अपनी इस सफलता पर एडवांस टेक्नोलॉजी और उसके उपयोग को सहयोगी बताना नही भूलते।

बड़े भाई प्रवेश‌ पांडे मेहनत मजदूरी कर घर परिवार चलाते हैं

सोमेश तीन भाईयो मे सबसे छोटे हैं। बड़े भाई प्रवेश‌ पांडे मेहनत मजदूरी कर घर परिवार चलाते हैं तो वहीं मंझले भाई सुदन पांडे हाथ से दिव्यांग हैं तो वही सोमेश आंखो से। सोमेश बचपन से ही नेत्रहीन तो जरूर हैं लेकिन हौसलो के नहीं।

लिहाजा दसवीं के परीक्षा पास करने बाद पिता की मृत्यु हो गई और फिर दो वर्षो बाद मां की छोड़कर चली गई। माता पिता के असमय चले जाने से सोमेश टुट गये। तब ऐसा हुआ कि सोमेश सहित घर वालो को लगा कि अब वे कुछ नही कर पायेंगे। लेकिन उन्होने हार नही मानी।

जब इसकी खबर सांसद सुनील सिंह को मिली तो उन्होंने मदद के लिए हाथ बढ़ाया और सोमेश के पढ़ाई के प्रति लग्न को देखते हुए दिल्ली भेजा। जहां दिल्ली यूनिवर्सिटी से सोमेश ने ब्रेन लिपी के जरिए हिस्ट्री ऑनर्स लेकर वर्तमान मे पढ़ाई कर रहे हैं।

इसी दौरान सोमेश ने एसएससी का परीक्षा दिया जिसमे वे सफल हुए और उनका चयन इनकम टैक्स डिपार्टमेंट में हुआ है। सोमेश अपनी इस सफलता पर सांसद सहित अपने भाई को श्रेय देना नही भूलते।

यूपीएससी की परीक्षा को पास कर वे आईएएस अधिकारी बनना चाहते हैं

वे कहते है कि पिता के असमय छोड़कर चले जाने के बाद मां का छोड़कर जाना हमारे जीवन और लक्ष्यो के लिए झकझोरकर रख देने वाला था, तब के विकट समय में सांसद ने पहल कर हमारी परिस्थितियों को समझा इसी का नतीजा है

आज हम इस परीक्षा को पास करने के काबिल बनें। सोमेश कहते हैं कि उनका लक्ष्य एसएससी नहीं है बल्कि उनका लक्ष्य यूपीएससी है। जिस यूपीएससी की परीक्षा को पास कर वे आईएएस अधिकारी बनना चाहते हैं।

बहरहाल सोमेश उन युवाओं के लिए मिसाल है जो शारिरिक कमजोरी को अभिशाप मानकर हारकर बैठ जाते हैं। अगर मन में लगन हो दिल में जो शो और दिमाग में सही रास्ते पर चलने का क्लियर रूट में आप हो तो सफलता जरूर मिलती है।

सोमेश भी कहते हैं कि मंजिल चाहे कितनी भी ऊंची क्यों ना हो लेकिन उसके रास्ते हमेशा पैरों के नीचे होती हैं।





...............................................बिट्टू कुमार सिंह 

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