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हौसले और लगन के बूते नेत्रहीन सोमेश बन गया आयकर अधिकारी || Blind Somesh became income tax officer due to courage and dedication ||

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झारखंड राज्य के चतरा जिले के सोमेश ने जोश, जज्बा और जुनून के बदौलत SSC का परीक्षा पास कर बने इनकम टैक्स अधिकारी. सोमेश ने दिव्यांगता अथवा शारीरिक कमजोरी को अभिशाप नहीं समझा.  इसे साबित कर दिखाया है चतरा के सोमजश ने, जिन्होंने अपनी प्रतिभा के बल पर SSC की परीक्षा पास कर इनकम टैक्स में जॉब पाया है। अगर ठान लो तो कुछ भी असंभव नहीं है इसी को सच साबित कर दिखाया है चतरा के सोमेश पांडे ने। मोबाईल पर तेजी से चलती उंगलियां और फर्राटेदार शब्दो मे जवाब,जिसे देखकर कोई भी नही कहेगा कि सोमेश पांडे नेत्रहीन हैं। ये उनकी प्रतिभा ही हैं जिसकी चमक SSC से लेकर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट तक पहुंची और सोमेश ने न सिर्फ SSC के परीक्षा को पास किया बल्कि इनकम टैक्स डिपार्टमेंट मे जॉब भी पाया। रही बात नेत्रहीनता कि तो टंडवा के सिसई गांव के रहने वाले सोमेश पांडे इसे कोई चुनौती नही मानते। वहीं अपनी इस सफलता पर एडवांस टेक्नोलॉजी और उसके उपयोग को सहयोगी बताना नही भूलते। बड़े भाई प्रवेश‌ पांडे मेहनत मजदूरी कर घर परिवार चलाते हैं सोमेश तीन भाईयो मे सबसे छोटे हैं। बड़े भाई प्रवेश‌ पांडे मेहनत मजदूरी कर घर परिवार चलाते हैं

अंतर्राष्‍ट्रीय परिवार दिवस मनाने की क्‍यों जरूरत पड़ी.।। Why was there a need to celebrate International Families Day.

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परिवार की शांति विश्‍व शांति का आधार है हर वर्ष के 15 मई को अंतर्राष्‍ट्रीय परिवार दिवस मनाया जाता है। सभी लोग यह जानते हैं कि परिवार समाज का बुनियादी आधार है। इसका उद्येश्‍य परिवार के महत्‍व को युवाओं को समझाना है जो वर्तमान समय में सिर्फ टेक्‍नोलॉजी के संपर्क में ही रहते है जिससे वह अपने परिवार से दूर न हो। उनके फेसबुक पर तो हजारों दोस्‍तों का आबार लगा है, लेकिन परिवार के सदस्‍यों के बारे में उन्‍हें बहुत कुछ मालूम ही नही है।    अंतर्राष्‍ट्रीय परिवार दिवस की शुरूआत कब और कैसे हुई? संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ के आवाहन पर प्रत्‍येक साल 15 मई को विश्‍व परिवार दिवस मनाया जाता है। अंतर्राष्‍ट्रीय परिवार दिवस का इतिहास बहुत लंबा नहीं है। वर्ष 1989 के 8 दिसंबर को 44वीं संयुक्‍त राष्‍ट्र महासभा ने एक प्रस्‍ताव पारित करके वर्ष 1994 को अंतर्राष्‍ट्रीय परिवार वर्ष की घोषाणा की। और वर्ष 1993 में आयोजित न्‍यूयार्क विशेष बैठक में वर्ष 1994 से प्रत्‍येक साल के 15 मई को अंतर्राष्‍ट्रीय परिवार दिवस मनाने का फैसला किया गया। इसके बाद से विभिन्‍न देशों-विदेश की सरकारें और जनता परिवार से जुड़े मामलों की समझ क

देश के बहादुर साइकिलिस्‍ट सबिता महतों।। Savita Mahto from the brave bicycle of the country.

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  सबिता महतों एक विश्‍व रिकॉर्ड होल्‍डर साइकिलिस्‍ट हैं   बिहार राज्‍य के सारण जिले के छोटे से गांव पानापुर से हैं।  अभी तक 33000 किलोमीटर साइकिल से पूरा कर विश्‍व रिकॉर्ड बनाया है और एशिया के 100 प्रतिभाशाली महिला वर्ष 2018 में गौरव अपने बिहार और अपने देश को दिया था. और 14 पर्वतों का सफलतापूर्वक  आरोहण किया है. सबिता महतों वर्ष 2 018 से ही माउंट एवरेस्‍ट दुनिया की सबसे ऊंची चोटी है उसके लिए चयनित होते आ रही हूँ  परंतु बिहार गवर्नमेंट से कोई सहयोग ना मिलने के कारण वह अपने कार्य में सफलता प्राप्‍त नहीं कर पा रही हैं, इनके घर वालों के पास भी इतना पैसा नहीं है कि खुद लगा कर माउंट एवरेस्‍ट  कर सकें, लेकिन इनका संघर्ष अभी भी जारी है।   सबिता महतों को माउंट एवरेस्‍ट में कुल लागत लगभग 4000000 रूपया इकट्ठा कर पाना एक साधारण परिवार  के लिए असंभव सा बात है.  ................................बिट्टु  कुमार सिंह                              स्‍त्रोत- सोशल साईट 

हिचहाइकिंग (केवल लिफ्ट) से देश-‍दुनिया में कर रहे है, भ्रमण अंश मिश्रा || Ansh Mishra is traveling in the country and the world by hitchhiking (only lift).

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    भारत के निम्‍न मध्‍यम वर्गीय परिवार में जन्‍मा अंश मिश्रा वर्तमान समय में एक ऐसा व्‍यक्ति हैं, जो देश-दुनिया में हिचहाइकिंग (केवल लिफ्ट) से अभी तक भारत के सभी राज्‍यों, केन्‍द्रशाशित प्रदेश एवं भारत का पहला सहयात्री जिसने 2017 में आधिकारिक तौर पर पूरे भारतीय राष्ट्र में सहयात्री की यात्रा की है, और अब 1 फरवरी 2021 के बाद से अफ्रीका में किसी भी उड़ान का उपयोग किए बिना भूमि सीमा से 54 देशों में एक रिकॉर्ड (यात्रा) हिचहाइकिंग (केवल लिफ्ट) के माध्‍यम से बना रहे है, भारत वापस आए बिना। यह यात्रा 1 फरवरी 2021 से शुरू हुई है, वह केन्या, युगांडा, तंजानिया, रवांडा, बुरुंडी, जाम्बिया, मलावी, मोजाम्बिक जा चुके हैं।                                                                   वर्तमान में अंश मापुटो, मोजाम्बिक में है और इसी तरह वह अफ्रीका के अन्य देशों को भी कवर करेगा उसका अगला गंतव्य इस्वातिनी, दक्षिण अफ्रीका, बोत्सवाना, नामीबिया, अंगोला, डीआरसी कांगो आदि जाने का हैं। आईएम स्थानीय अफ्रीकी पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पूरे अफ्रीकी महाद्वीप (सभी 54 देशों) में यात्रा करने के लिए एक मिशन पर ह

सबसे कम उम्र की मुखिया बनी, मात्र 21 वर्षीय अनुष्‍का कुमारी।। The Youngest became the chief, only 21 years old ANUSHKA KUMARI.

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    बिहार में त्रिस्‍तरीय पंचायत चुनाव में सातवें चरण के अंतर्गत शिवहर जिले क्षेत्र के शिवहर प्रखंड में  कुशहर पंचायत  के नवनिर्वाचित मुखिया महज 21 वर्षीय अनुष्‍का कुमारी   पिता- सुनील कुमार सिंह की पुत्री ने शिवहर प्रखंड में सबसे कम उम्र में मुखिया पद से जीत हासिल करके एक इतिहास रच दिया. उन्‍होंने मुखिया पद के चुनाव में अपने प्रतिद्वंद्वी को 287 वोटो  से हराया हैं, अनुष्‍का कुमारी  को चुनाव में 2625 मत प्राप्‍त हुए, जबकि उपविजेता रहीं रीता देवी को 2338 वोट मिला है.  अनुष्‍का अपने जीत का श्रेय कुशहर पंचायत के जनता को दि .  आपको बता दें कि अनुष्‍का कुमारी की पढा़ई हरियाणा से दसवीं एवं कर्नाटक से स्‍नातक कि डिग्री हासिल की है वह आगे भी पढा़ई जारी रखना चाहती है।                 पंचायती चुनाव  से उनका संबंध अपने ही पिता सुनील कुमार सिंह पूर्व जिला परिषद सदस्‍य रह चुके थे. वह जब भी किसी गली-मुहल्‍ले से निकलती तो देखती की अपने ही पंचायत किस बदहाल स्थिती में है और बार - बार उनका मन यही कहता कि अब समय आ गया हैं कि बिहार पंचायती चुनाव में युवाओं को ही आना पडे़गा तब ही पंचायत की दिशा और दशा